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wheat export ban

गेहूं निर्यात पर रोक, फिर भी कम नहीं हो रहीं कीमतें

गेहूं निर्यात पर रोक, फिर भी कम नहीं हो रहीं कीमतें

नई दिल्ली। गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध (Wheat Export Ban - May 2022) के बावजूद भी घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतें कम नहीं हो रहीं हैं। रोक के बाद 14 दिन में खुदरा बाजार में गेहूं की कीमत में महज 56 पैसे की गिरावट हुई है। उछलते वैश्विक दाम और गेहूं उत्पादन में कमी के चलते गेहूं की कीमतों में वृद्धि हुई है। भारत में 13 मई को गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था। उस वैश्विक बाजार में इसका भाव 1167.2 डॉलर प्रति बशल था। 18 मई को यह बढ़कर 1284 डॉलर प्रति बशल (27.216 रूपये प्रति किलो) तक पहुंच गया। हालांकि 25 मई को इसमें फिर गिरावट हुई। और 26 मई को इसकी कीमतें घटकर 1128 डॉलर प्रति बशल हो गईं। केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया का कहना है कि वैश्विक बाजार में गेहूं की कीमतों में तेजी आ रही है। इसके अलावा भारत में गेहूं उत्पादन में गिरावट भी महंगाई का मुख्य कारण है। वैश्विक बाजार में जब तक दाम नहीं घटेंगे, तब तक घरेलू बाजार में भी गेहूं के भाव में गिरावट की संभावना कम है।

अभी कुछ महीने और महंगाई के आसार

केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया के अनुसार रूस-यूक्रेन युद्ध कारण आपूर्ति प्रभावित होने से वैश्विक बाजार में तेजी है। भारत को थोड़ी राहत इसलिए है कि पिछले तीन-चार सालों से गेहूं उत्पादन बेहतर होने के कारण हमारे पास गेहूं का अच्छा भंडारण बन हुआ है। फिर भी गेहूं के सस्ते होने के लिए कुछ महीने और इंतजार करना होगा।

उत्पादन कम हुआ, मांग बढ़ी

- इस साल गेहूं का उत्पादन कम हुआ है, जबकि वैश्विक स्तर पर गेहूं की मांग ज्यादा बढ़ी है। देश मे गेहूं भंडारण पेट भरने के लिए ही काफी है।

गरम तवे पर छींटे सी राहत :

तारीख - 13 मई 2022, कीमत प्रति क्वांटल - 2334, कीमत प्रति किलो - 23.34 तारीख - 26 मई 2022, कीमत प्रति क्विंटल - 2278, कीमत प्रति किलो - 22.78 सस्ता - प्रति क्विंटल 56 पैसे

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◆ देश में इस साल गेहूं उत्पादन में 7-8% कई कमी की आंशका है।

◆ साल 2021-22 में 10.95 करोड़ गेहूं का उत्पादन हुआ है। 

 ◆ भारत 21 मार्च 2022 तक कुल 70.30 लाख टन गेहूं निर्यात (wheat export) कर चुका है। 

 ◆ वैश्विक स्तर पर 14 साल बाद गेहूं पर महंगाई हुई है। "मौजूदा हालात के चलते गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा। दुनियाभर में अनिश्चितता बनी हुई है, अगर ऐसे में हम निर्यात शुरू कर दें तो जमाखोरी की आशंका बढ़ सकती है। इससे उन देशों को कोई लाभ नहीं होगा, जिनको अनाज की बेहद जरूरत है। हमारे इस फैसले से वैश्विक बाजार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि वैश्विक बाजार में भारत का निर्यात एक फीसदी से भी कम है।"

श्री पीयूष गोयल भारत सरकार में रेलवे मंत्री तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री हैं (Shri Piyush Goyal Commerce minister)

- पीयूष गोयल, केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री (फोटो सहित)


लोकेन्द्र नरवार

 
गेहूं निर्यात पर पाबंदी से घबराए व्यापारी, चावल निर्यात के लिए कर रहे बड़ी डील

गेहूं निर्यात पर पाबंदी से घबराए व्यापारी, चावल निर्यात के लिए कर रहे बड़ी डील

नई दिल्ली। भारत सरकार द्वारा बीते 14 मई को गेहूं निर्यात पर पाबंदी लगा दी गई थी। जिसके बाद देश के बड़े व्यापारी घबराए हुए हैं। हालांकि व्यापारियों को सरकार से उम्मीद है कि बंदरगाहों पर पड़े गेहूं को निर्यात की मंजूरी मिलेगी। लेकिन गेहूं निर्यात पर पाबंदी फिलहाल बनी रहेगी। उधर गेहूं निर्यात पर पाबंदी से घबराए बडे व्यापारियों ने चावल निर्यात के लिए डील शुरू कर दी है। अब चावल व्यापारियों ने खरीददारी बढ़ाने और लंबी अवधि की डिलीवरी के लिए ऑर्डर दिए जा रहे हैं। भारत में भारत शीर्ष चावल निर्यातक है। ऐसे में व्यापारियों को यह भी चिंता सता रही है कि कहीं भारत चावलों की शिपमेंट को भी प्रतिबंधित न कर दे। अगर ऐसा हुआ था चावल व्यापारी बड़े घाटे में रहेंगे। इससे अच्छा है कि अभी से चावल निर्यात की डील फाइनल कर दी जाए। जिससे भविष्य में कोई परेशानी खड़ी न हो।

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बता दें कि पिछले दो सप्ताह में व्यापारियों ने जून से सितंबर तक शिपमेंट के लिए 10 लाख टन चावल निर्यात के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। और कांट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करने के बाद जल्दी से लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) खोल रहे हैं ताकि कांट्रैक्ट में तय मात्रा को जल्दी से बाहर भेजा जा सके। फिर भले ही भारत सरकार चावल निर्यात को प्रतिबंधित कर दे।

96 लाख टन के लिए कॉन्ट्रैक्ट

- व्यापारी पहले ही इस साल लगभग 96 लाख टन चावल का निर्यात कर चुके हैं। अतिरिक्त 10 लाख टन के कॉन्ट्रैक्ट इस 96 लाख टन के ऊपर किए गए हैं। आने वाले महीनों के दौरान अन्य खरीदारों के लिए उपलब्ध अनाज की मात्रा को कम किया जा सकता है क्योंकि लोडिंग शेड्यूल पूरा हो जाएगा। डेकन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार भारत के सबसे बड़े चावल निर्यातक सत्यम बालाजी के कार्यकारी निदेशक हिमांशु अग्रवाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों ने अगले तीन से चार महीनों के लिए प्री-बुकिंग की और सभी ने लगातार कारोबार सुनिश्चित करने के लिए एलसी खोले। -----

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गेहूं पर प्रतिबंध और चावल की खरीद

- भारत ने पिछले महीने अचानक गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। जबकि कुछ दिनों पहले कहा गया था कि इस साल रिकॉर्ड शिपमेंट का टार्गेट है।

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सरकार ने चीनी निर्यात पर भी सीमा तय कर दी। चीनी निर्यात ने इस बार तमाम रिकॉर्ड तोड़े हैं। भारत एक टॉप वैश्विक गेहूं निर्यातक नहीं है, लेकिन यह ब्राजील के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक है। इन निर्यात प्रतिबंधों ने अटकलें लगाईं कि भारत चावल के शिपमेंट को भी सीमित कर सकता है, हालांकि सरकारी अधिकारियों ने कहा कि भारत ऐसा करने की योजना नहीं है क्योंकि उसके पास पर्याप्त चावल का स्टॉक है और स्थानीय कीमतें राज्य द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य से कम हैं। मगर व्यापारी घबरा गए थे। इसलिए उन्होंने पहले ही चावल की निर्यात डील कर दी, क्योंकि प्रतिबंध लगने पर पहले से की गयी डील को पूरा करने की छूट मिल जाती है।

वैश्विक चावल व्यापार में भारत का हिस्सा

- वैश्विक चावल व्यापार में भारत का हिस्सा 40% से अधिक है। भारत के गेहूं प्रतिबंध के कारण बंदरगाहों पर बड़ी मात्रा में अनाज फंस गया था क्योंकि सरकार ने केवल एलसी द्वारा समर्थित कॉन्ट्रैक्ट के तहत आने वाले अनाज को भेजने की अनुमति दी थी। आम तौर पर लोग जहाज को नॉमिनेट करते समय एलसी खोलते हैं। इस बार व्यापारियों ने सभी चावल अनुबंधों के लिए एलसी खोले, इसलिए यदि निर्यात पर प्रतिबंध भी लगे, तो कम से कम अनुबंधित मात्रा वाले चावल को बाहर भेजा जा सकेगा। ------- लोकेन्द्र नरवार
आटा, मैदा और सूजी के निर्यात को अब देना होगा गुणवत्ता प्रमाण पत्र

आटा, मैदा और सूजी के निर्यात को अब देना होगा गुणवत्ता प्रमाण पत्र

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने अब आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर गुणवत्ता प्रमाण पत्र जरूरी कर दिया है। दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई और कोलकाता स्थित एक्सपोर्ट इंस्पेक्शन काउंसिल (Export Inspection Council - EIC) से गुणवत्ता प्रमाण पत्र की मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद ही आटा, मैदा और सूजी का निर्यात किया जा सकेगा। बता दें कि बीते 13 मई को भारत सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध (Wheat Export Ban) लगा दिया था। जिसके बाद आटा, मैदा और सूजी के भाव बढ़ने लगे गए हैं। भाव बढ़ने के बाद अंदेशा लगाया जा रहा है कि इनकी गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ हो सकती है। इसे देखते हुए केन्द्र सरकार ने प्रमाणित संस्था से गुणवत्ता प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया है।


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खाने-पीने का सामान हुआ महंगा

- खाद्य वस्तुओं पर लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है। गत 12 जुलाई को विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी - DGFT - Directorate General of Foreign Trade) ने आटा, मैदा व सूजी के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। जिससे घरेलू बाजार में भी कीमतें बढीं। आज स्थिति ऐसी है कि सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी कीमतें थम नहीं रहीं। नमक, चावल, डाल सहित तमाम खाद्य वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रहीं हैं।

यह महंगाई पर काबू पाने का एक और प्रयोग

- केन्द्र सरकार ने महंगाई पर काबू पाने के लिए यह प्रयोग किया है। इस प्रयोग के बाद उम्मीद लगाई जा रही है कि बढ़ती महंगाई पर कुछ हद तक राहत मिलेगी। यहिं वजह है कि सरकार ने खाद्य वस्तुओं पर शिकंजा कसा है।


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अंतर मंत्रालय समिति की सिफारिश भी होगी अनिवार्य - सोमवार को डीजीएफटी ने कहा, ‘निर्यात नीति या गेहूं का आटा, मैदा, सूजी (रवा या सिरगी), साबुत आटा जैसी सामग्रीयां नियंत्रणमुक्त हैं। साथ ही निर्यात के लिए गठित अंतर मंत्रालय समिति की सिफारिश की जरूरत होगी। आईएमसी द्वारा अनुमोदित सभी निर्यात की अनुमति दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई और चेन्नई में निर्यात निरीक्षण परिषद या ईआईसी (Export Inspection Council - EIC) (निर्यात निरीक्षण एजेंसी) द्वारा गुणवत्ता प्रमाण पत्र जारी करने के बाद ही दी जाएगी।